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Chhath Puja 2024: महत्त्व, तिथियां, विधि और मान्यताएं

1. छठ पूजा का परिचय

Chhath Puja 2024: पूजा भारतीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। सूर्य देव और छठी मइया की आराधना का यह त्योहार धार्मिक आस्था, निष्ठा और संयम का प्रतीक है। छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें व्रती विशेष नियमों का पालन करते हैं और निर्जला उपवास रखते हैं।

2. Chhath Puja 2024 की तिथियां

Chhath Puja 2024 में 5 से 8 नवंबर के बीच मनाई जाएगी। इसकी तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • नहाय-खाय: 5 नवंबर 2024
  • खरना: 6 नवंबर 2024
  • संध्या अर्घ्य: 7 नवंबर 2024
  • उषा अर्घ्य: 8 नवंबर 2024

3. छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देवता को समर्पित एकमात्र पर्व है जिसमें उगते और डूबते दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह पर्व न सिर्फ भक्ति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे स्वास्थ्य और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना गया है। सूर्य देव ऊर्जा, जीवन और स्वास्थ्य के प्रतीक माने जाते हैं, और उनकी आराधना करने से व्रती और उनके परिवार को समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।

4. छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथाएं

छठ पूजा से संबंधित कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • रामायण की कथा: कहा जाता है कि जब श्रीराम और माता सीता ने अयोध्या लौटकर राज्याभिषेक के समय सूर्य देव की पूजा की थी। उसी परंपरा से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
  • महाभारत की कथा: मान्यता है कि कुंती ने सूर्य देव की उपासना करके पुत्र कर्ण की प्राप्ति की थी। इसी कारण छठ पूजा में सूर्य की विशेष आराधना की जाती है।

5. छठ पूजा के चार दिन की विधि

नहाय-खाय (पहला दिन)

छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ से शुरू होता है। इस दिन व्रती गंगा नदी या किसी पवित्र जल स्रोत में स्नान करके शुद्ध होते हैं। इसके बाद शुद्ध आहार का सेवन करते हैं, जिसमें कद्दू और अरवा चावल का भोजन मुख्य होता है।

खरना (दूसरा दिन)

दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ से बने खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना की प्रसाद को व्रती भक्तों में भी बांटते हैं।

संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

तीसरे दिन, व्रती निर्जला उपवास रखकर संध्या के समय सूर्यास्त के दौरान अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य किसी नदी, तालाब या घर के आंगन में बने कुंड में दिया जाता है। व्रती व्रत के दौरान सूर्य देवता को फल, फूल, गन्ना, नारियल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं।

उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

चौथे दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उषा अर्घ्य के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं। इस अवसर पर परिवार के लोग व्रती का सम्मान करते हैं और व्रती परिवारजनों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

6. छठ पूजा की पूजा सामग्री

छठ पूजा में विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे:

  • बाँस की टोकरियाँ और सूप
  • नारियल
  • ठेकुआ (विशेष प्रसाद)
  • गन्ना, केला, सेब, अनार, हल्दी
  • फल और फूल
  • धूप और दीपक

7. छठ पूजा की तैयारी कैसे करें?

छठ पूजा की तैयारी में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूजा स्थान, प्रसाद, और सामग्रियों को शुद्ध रखना अनिवार्य होता है। इसके अलावा, नए वस्त्र, विशेष रूप से व्रती के लिए, और बाँस के बने पात्रों का उपयोग किया जाता है।

8. छठ व्रत का महत्व और लाभ

छठ व्रत का मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि है। यह व्रत व्रती के परिवार के सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। छठ पूजा में उपवास रखने से व्रती का शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, क्योंकि यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है।

9. छठ पूजा में व्रतियों के नियम और परहेज

छठ पूजा के दौरान व्रती कई नियमों का पालन करते हैं, जैसे कि किसी भी प्रकार का अन्न या जल ग्रहण नहीं करना, सफेद कपड़े पहनना, और सात्विक विचारों का पालन करना। यह नियम व्रती को संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

10. छठ पूजा के दौरान सावधानियां

छठ पूजा में सावधानी बरतनी जरूरी है, जैसे:

  • शुद्धता और स्वच्छता का पालन करें।
  • व्रत के दौरान भारी कार्यों से बचें।
  • प्रसाद बनाते समय सभी सामग्री को शुद्ध रखें।

11. छठ गीतों का महत्व

छठ गीत इस पर्व की एक खास पहचान है। छठ गीत व्रती और भक्तों के मनोबल को बढ़ाते हैं। ये गीत पारंपरिक लोक धुनों पर आधारित होते हैं और इनमें छठी मइया का आह्वान और आशीर्वाद की कामना होती है।

12. छठ पूजा पर समाजिक महत्व

छठ पूजा का समाजिक महत्व भी बहुत अधिक है। यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जिसमें सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।

13. छठ पूजा की वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

छठ पूजा में सूर्य की उपासना के कारण विटामिन डी का सेवन होता है, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत में किए गए योग और ध्यान मानसिक संतुलन को बनाए रखते हैं, और सूर्य की किरणें त्वचा और आँखों के लिए लाभकारी मानी जाती हैं।

14. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में छठ पूजा की मान्यताएं

छठ पूजा मुख्यतः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है, परंतु अब यह भारत के अन्य राज्यों और विदेशों में भी लोकप्रिय हो गया है। सभी स्थानों पर इसका महत्त्व समान है, लेकिन इसे मनाने के तरीके में स्थानीय भिन्नताएँ देखी जाती हैं।

15. निष्कर्ष

छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक पवित्र और पर्यावरण हितैषी पर्व है। यह पर्व संयम, शुद्धता और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है, जो हमें सूर्य देव की शक्ति और छठी मइया की कृपा का एहसास कराता है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपने परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समाज की उन्नति की कामना करते हैं।


यह भी पढ़े : बोधगया के अनसुने तथ्य: जानिए इस पवित्र स्थल के रहस्य | Unheard facts of Bodhgaya

FAQs

  1. छठ पूजा का पर्व किस देवता को समर्पित है?
    • छठ पूजा सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित पर्व है।
  2. Chhath Puja 2024 में कब है?
    • Chhath Puja 2024 में 5 से 8 नवंबर के बीच मनाई जाएगी।
  3. क्या छठ पूजा में व्रत करना अनिवार्य है?
    • हां, छठ पूजा में व्रत करना अनिवार्य है, जो व्रती द्वारा परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है।
  4. छठ पूजा की प्रमुख पूजा सामग्री क्या है?
    • छठ पूजा में बाँस की टोकरियाँ, नारियल, ठेकुआ, गन्ना, और फल-फूल मुख्य सामग्री हैं।
  5. छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
    • छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना से शरीर में विटामिन डी की प्राप्ति होती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

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